Monday 28 September 2015

जय हो...As we have to convert our positive energy into positive power...everything we do to enhance. .our qualities within us is SPIRITUALITY....कब ? क्यों ? कैसे ?....तर्क-वितर्क...चर्चा का अहम् पहलु होते है...और यदि इस पहलु को सकारात्मक बनाने की जिसने भी पहल करी...बस वही कहलाता है..."जो जीता,वही सिकंदर"...और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वही कहलाता है... "मुकद्दर का सिकंदर"...युद्ध के मैदान में भाग्य का कार्य बहुत कम तथा पुरुषार्थ का कार्य बहुत ज्यादा हो सकता है... पुरुषार्थ हमारे "आसन" को पुष्ट करने का एक-मात्र माध्यम या सेतु है...औऱ बहुत सहज बात है,सब को ज्ञात है...निश्चिन्त रूप से हमेशा के लिए...मजबूत आसन का एक-मात्र आधार-"मजबूत पुरुषार्थ "...यह भी सहज अवगत हो कि पुरुषार्थ को मजबूत बनाने के लिए मात्र सहज सात्विक कर्म आवश्यक हो सकते है...नियमित, प्रतिदिन, दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्धमासिक, वार्षिक या स्वयं के आनंद अनुसार....हम अपने इर्द-गिर्द अनेक सफल मजबूत पुरुषार्थ वाले व्यक्तित्व देख सकते है, हम स्वयं के बारे में भी मनन, चिंतन कर सकते है...क्योंकि हम एक नहीं अनेक आसन मजबूती से ग्रहण करना चाहते हैं...स्नान आसन, पूजा आसन, भोजन आसन, राज्य-पक्ष आसन (अर्थ आसन) इत्यादि...समस्त आसन पूर्ण सात्विक आसन...और सात्विकता में जड़त्व का पड़ाव उत्तम पुरुषार्थ की मजबूत शुरुआत हो सकती है.....जय हो....शेष चर्चा अति-शीघ्र....ससम्मान.....सादर नमन्......”विनायक-चर्चा” हेतु सादर आमंत्रित…..फुर्सत के क्षणों में शब्दों का आदान-प्रदान अर्थात चर्चा का योग, समय अनुसार.....उच्च, समकक्ष या मध्यम....शुद्ध रूप से....स्वयं का निर्णय हो सकता है...आमने-सामने...face to face...शब्दों का सम्मान...पूर्ण स्वतंत्रता के साथ....हार्दिक स्वागत...विनायक समाधान @ 91654-18344...(उज्जैन/इन्दौर/देवास)…





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