जय हो...सादर नमन...मित्रों से चर्चा करते हुए यह अनुभव रहा कि इस सहज
अभियान को अनेक मित्रो द्वारा आश्चर्य और अचरज भरी दृष्टि से निहारा
गया...कब ? क्यों ? कैसे ? हेतु आयोजित अभियान हेतु यह प्रश्न किया
गया---"क्यों ???"....इस क्यों ? का उत्तर सहज हो सकता है, कुछ इस
तरह...'हम एक, हमारा एक'...परन्तु 'हम दो, हमारे दो' भी हम सभी मित्रो का
सपना या उद्देश्य होता है...इस उद्देश्य हेतु प्रश्न हो सकते है...कब ?
क्यों ? कैसे ?....अनेक प्रश्न ||| और इन्ही पहलुओं पर "विनायक चर्चा" में
शब्दों का आदान-प्रदान होता है..परन्तु
प्रश्न यह कि 'WHY' ?--क्यों ?...इसका साधारण उत्तर या कारण दोनों मान सकते
है...'हम एक, हमारा एक'....चर्चा आमने-सामने की...विशुद्ध तथा सात्विक
पूर्ण रूपेण व्यक्तिगत...कुछ प्रश्न ऐसे हो सकते है, जिनका उत्तर हम
सुनिश्चिंत नहीं कर पाते है...तब असमंजस उत्पन्न होता है...तब साहित्य की
अपेक्षा अनुभव से प्रकाश डाला जा सकता है...वर्तमान में, इस तेज-रफ़्तार में
इतने परिवर्तन होते है कि हम स्वयं सोच-सोच कर परेशान हो सकते है...बेवजह
ताबड़-तोड़ जानकारियां...तब इच्छा होती है कि कोई अच्छी सी पुस्तक लेकर जंगल
में अध्ययन हेतु चले जाना चाहिए.... और गड़रिये से मित्रता ऐसी हुई कि उसने
अनपढ़ होते हुए भी पुस्तक लिखना सीखा दिया...मात्र साथ रहने का अनुभव...एक
से अनेक का प्रसार...एक से एक की शर्त या नियम...प्रार्थना द्वारा
अन्तर्मन् से प्रतिध्वनि होती है...'हम एक, हमारा एक'...आमने-सामने एक ऐसा
अभियान हो सकता है, जिसमे हमको यह पूर्ण स्वतंत्रता हो कि हम अपना पक्ष रख
सकें...और इस विश्वास के साथ कि सम्पूर्ण चर्चा-क्रम में सकारात्मक
प्रोत्साहन का अहसास होगा...हालाँकि कुछ या अनेक घटनाक्रम इस प्रकार होते
है कि हम हतप्रत रह जाते है...इस सम्पूर्ण जीवन में सब कुछ जानना लगभग
असम्भव है...और इस रहस्य पर पर्दा डालने के लिए सहज नियम तथा संयम
निर्धारित हो चुके है...समय का एक ही नाम है--"काल"....और अनेक नामों से
पुकारा जाता है...भूत काल, वर्तमान काल, भविष्य काल....और समय को मात्र
नियम तथा संयम से ही बांधा जा सकता है...और यदि यह हो जाये तो प्रेम से
कहिये..."जय श्री महाकाल"...'हर हर महादेव'...'ॐ नमः शिवाय्'...'भोले नाथ,
सबके साथ'...जय हो...हार्दिक स्वागत...विपक्ष के लिए तालियों की गूंज से
हताश होने की अपेक्षा निष्पक्ष होना आनंद-दायक हो सकता है..."विनायक
समाधान" @ 91654-18344...(इंदौर/उज्जैन/देवास)'
No comments:
Post a Comment