Tuesday 29 September 2015

जय हो...सादर नमन...कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं है...हम सभी अच्छाइयों तथा कमियो के ताने-बाने से बुन कर बनाये या तराशे हो सकते है...हो सकता है कि हम में अनेक कमजोरियां हो परन्तु अनेक क्षमताये भी हो सकती है, जिन्हें हम अभी तक पहचान ना सके...अपनी अक्षमताओं और दुसरो की विशेषताओं की तुलना करना उचित नहीं...हर व्यक्ति अद्वितीय है, अपने स्वयं के समान अकेला मात्र स्वयम् है...हमे अपनी विशेषताओं पर विचार करना चाहिए...निष्पक्ष...हम में अनेक गुण हो सकते है, जो दुसरो में नहीं हो सकते है...हम स्वयं से सहानुभूति रख सकते है...स्वयं की उन बातों को सहज स्वीकारना होगा, जिन्हें दूसरे लोग नापसन्द कर सकते है...हमारे जीवन मार्ग के निर्धारक हम स्वयं ही हो सकते है...हर व्यक्ति की पारिवारिक पृष्ठभूमि, वंशानुगत लक्षण, वातावरण, विचार, अनुभव और दृष्टिकोण भिन्न हो सकते है...सामाजिक जीवन की कई विशेषताए जैसे--व्यवहार-कुशलता, नेतृत्व-क्षमता, तर्कपूर्ण-कथन, हंसी-मज़ाक, आत्माभिव्यक्ति, प्रभावपूर्ण वाक्-शैली इत्यादि अभ्यास द्वारा सीखे जा सकते है...नए रास्तो पर चलने का अभ्यास स्वयं को करना पड़ता है...




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