मन की बात===...कृपया ध्यान पूर्वक पड़ने हेतु विनम्र निवेदन....यदि किसी को
किसी का “निमन्त्रण” प्राप्त होता है तो यह सबसे पहले यह देखा जाता है कि
निमन्त्रण की परिधि में किसी चीज की उपलब्धता है अथवा नहीं है तब प्रथम
प्राथमिकता “सम्मान” नामक “सामान” के खाते में स्वतः अंकित हो जाती है
क्योंकि निमन्त्रण का दोनों पक्ष की प्रतिष्ठा से प्रगाड़ सम्बन्ध होता
है....सम्मान नामक सामान खरीदने से वास्तव में मिलता ही नहीं...वह तो मुफ्त
में मिलता है वह भी हमेशा के लिए.....”बस प्रयास प्रार्थना
के साथ हो”...यह सन्देश है “श्रीमाद्भाग्वात्गीता” का....जो स्वयं
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का “गुरु-ग्रन्थ” हमेशा है और विश्वाश
करे......”सम्मान” एवम “निमन्त्रण”...दोनों शब्द जो मात्र घटनाओ को जन्म
देते है या अविष्कार करते है...दोनों हेतु “आकर्षण” आवश्यक होता है...और
आकर्षण मात्र वायुमंडल में ही होता है तो प्रत्येक के वायुमंडल में आकर्षण
चर्चा का विषय अवश्य हो सकता है......वायुमंडल प्रकृति या ईश्वर निर्मित
होता है परन्तु वायुमंडल में आकर्षण “स्वनिर्मित” होता है...... हार्दिक
स्वागत......*विनायक समाधान* में एक सहज उपलब्धता अवश्य है....पूर्ण
सात्विक अनुभव ( विगत नौ वर्ष )...पूर्ण सात्विक सम्पर्क....पूर्ण
निस्वार्थ निरन्तर सेवा....चमत्कारों से पूर्ण पृथक....मात्र चर्चा प्रधान
सम्पर्क...मात्र साधारण और सामान्य....मात्र गुरु प्रधान....मात्र
मित्र....मात्र स्वैच्छिक स्व-रचित रेखाए....मात्र निर्धारित समय.....मात्र
शब्दों का आदान-प्रदान....मात्र ईशान-कोण चर्चा अर्थात पूर्ण
प्रोत्साहन....पूर्ण धार्मिक अभियांत्रिकी.....सब कुछ सहज....मात्र
वायुमंडल के श्रृंगार हेतु सहज एवम स्वैच्छिक उपाय.....मात्र श्रवण,
कीर्तन, चिन्तन, मनन.... मात्र ज्ञानेन्द्रियो को प्राथमिकता...विनायक
समाधान @ 91654-18344....इंदौर / उज्जैन.... आप सभी आमंत्रित है... एक ही
प्रार्थना..."सर्वे भवन्तु सुखिनः"+++++एक ही आधार "गुरू कृपा हिं
केवलमं".....पूर्व निर्धारित समय हमेशा की तरह सुविधा सिध्द होती
रहेगी....सादर नमन्....जय हो...
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