Tuesday 29 September 2015

सादर प्रणाम....मन की बात...सहज एवम् सुनिश्चिंत आनन्द के लिए...प्रत्येक मित्र को समर्पित...ससम्मान...जब ज्यादा प्रतिष्ठा अथवा सम्मान अथवा प्रत्युत्तर अथवा सफलता मिलती है तो किस प्रकार के भाव उत्पन्न करना चाहिए ???....एवम् प्रश्न का उत्तर होता है कि इसमें बेहद योग्यता की आवश्यकता होती है...और यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि विनायक समाधान @ 91654-18344... को इस योग्यता की पात्रता नहीं है...विदित हो कि विनायक समाधान द्वारा विगत आठ वर्षो में कोई विशेष उल्लेखनीय कार्य नहीं किया गया है...बस एक ही प्रयास निरन्तर किया गया है....”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि” के तहत मात्र नियत समय, नियत स्थान (ईशान-कोण से सु-शोभित) पर समस्त पधारें मित्रो के लिए "सर्वे भवन्तु सुखिनः" की कामना एवम् प्रार्थना की गयी....अर्थात “DON’T WORRY” कहने का प्रयास किया गया....मात्र इस सहज आधार के साथ कि...."गुरू कृपा हिं केवलमं".....यह जानने की कोशिश किये बिना कि कौन , किसको “BE HAPPY” कहता है ??... और यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि इस उल्लेखनीय कार्य की जिम्मेवारी विनायक समाधान की भी नहीं है...यह अधिकार तो किसी और का है और उसी का हो सकता है जो इसकी पूर्ण योग्यता रखता हो...अग्र निवेदन है कि एक विशाल अनुभव से ज्ञात हुआ कि “BE HAPPY” के अनेक रूप प्रस्तुत होते आये है उदाहरण....कृपा, अनुकम्पा, पावन-दृष्टि, लीला, क्षमा ,रक्षा ,न्याय .व्यवस्था या कोई और सकारात्मक संज्ञा चाहे जो हो परन्तु “DON’T WORRY” का तो एक ही सहज रूप हो सकता है वह है...प्रार्थना और विनायक समाधान के अनुसार निरन्तर प्रार्थना...और अनुभव कहता है कि पार्थना ही परम प्रोत्साहन सिद्ध होती है... सहज हार्दिक स्वागत.... आप सभी सहज आमंत्रित है... पूर्व निर्धारित समय हमेशा की तरह सहज सुविधा सिध्द होती रहेगी....विनायक समाधान @ 91654-18344....( इंदौर / उज्जैन /देवास )...जय हो....भले पधारो सा....




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