Monday 5 October 2015

“वैदिक-गणना”...प्रत्यक्ष-गणना...गणना दिलचस्प होना चाहिए...गणना छोटी या बड़ी होने का महत्व स्वयं की सहमती हो सकती है... "जल से पतला ज्ञान है"...एक सहज तथ्य है, परन्तु अनुभव करने के पश्चात् ही इस तथ्य को स्वीकार किया जा सकता है...जल से ज्ञान की तुलना....प्रत्यक्ष से अप्रत्यक्ष की तुलना अथवा सापेक्षता...तुलना का एक ही आधार...मात्र स्वध्य्याय....तब एक दायित्व पूर्ण करना पड़ता है....स्वयं के अध्ययन की क्षमता को परखने का...उत्कृष्ट (Outstanding) कहलाने या सिद्ध होने की प्रत्येक की हार्दिक इच्छा हो सकती है...तब हम एक सहज प्रयोग या अभ्यास कर सकते है....विनायक-प्रयोग या विनायक-आभास...न जीत का लालच, न हार का डर...न शब्द, न अंक, ...न किताब, न घड़ी...कोई परीक्षा नहीं...स्वम्भू-प्रयोग...हठ-धर्म सम्भव नहीं....इस प्रयोग में स्वयं को सहज प्रस्तुत करने हेतु स्वयं को विधार्थी मान लेना सुविधा-जनक हो सकता है...अर्थात "करत-करत अभ्यास, गुणमति सुजान होय"...तो शुरू होने का समय है अब...यह जानने के लिये कि हमारे भीतर का 'सुजान' अर्थात मस्तिष्क की क्षमता क्या हो सकती है ???..."स्वस्तिक" एक चिन्ह है...न शब्द, न अंक...मात्र यंत्र...तंत्र का संचालन या शुभारम्भ या चिंतन...मन्त्र का किर्तन या मनन...यत्र, तत्र, सर्वत्र मान्य...प्रपंच मुक्त सहज...बस यही कारण है कि दायित्व निभाना है..."स्वस्तिक-दर्शन"...लेना न देना, मगन रहना...मात्र साठ सेकण्ड...only 60 seconds...360 degree या 'कलायें'...सहज आसन, सहज मेरुदंड, सहज दृष्टि, सहज एकाग्रता, सहज दर्शन...सहज प्रारम्भ...प्रारम्भ के एक चौथाई समय अर्थात प्रथम चरण या 15 seconds या 25% कार्य या 90 degree या द्वितीय श्रेणी या उत्तम या साधारण या मध्यम...परन्तु असफल कदापि नहीं...यह चरण आसानी से स्वत: पूर्ण होता है...ठीक 'KBC' की तरह...इसके बाद शुरुआत होती है, दृष्टि-अभ्यास की..."त्राटक"....कुल चार चरण....घड़ी शुरू...न घडी के अंक, ना ही घडी के कांटे....कैमरा फोटो खींचता है, समय नहीं....एक मिनट...15, 30, 45, 60...चार हिस्से...चार सहज नाम....सहज, उत्तम, श्रेष्ठ, विशिष्ट... चूँकि परमेश्वर तो पंच को ही कहा गया है...तब पांचवा नाम...."अति-विशिष्ट"....और इस चरण तक जाने के लिये सिवाय मेहनत के और कोई चारा नहीं....तीन गुना परिश्रम...यह स्वयं यंत्र की सहज आज्ञा भी हो सकती है....यह हमारी कामना, कल्पना या आवश्यकता भी हो सकती है...सहज आविष्कार का जन्म...मात्र 180 seconds....360 degrees... Around The World....वायुमंडल में सहज ज्ञान के पंखो की उपस्तिथि....अब वैदिक गणित...अंक नौ...सिद्ध पूर्णांक....अक्षय अर्थात विनायक-अंक माना जाता है...(180=1+8+0=9)....(108=1+0+8=9)...(1008=1+0+0+8=9).....साधारण तथ्य--'' जो उर्जा को जागृत करे"...वही कहलाता है--"अतिविशिष्ट"....समस्त चरण समाहित करने में सक्षम...साधारण से लेकर विशिष्ट तक, सभी सहज नतमस्तक....अब चेतना द्वारा आकांक्षा जागृत होती है...सहज यात्रा....मात्र साधारण से अतिविशिष्ट तक....यात्रा में समय की सहज गणना...ठीक प्राचीन-समय का आकलन...जँहा पर खड़े है वही से गिनना शुरू...प्रथम चरण तो स्वत: और आसान है, इसमें भला कौन-सा परिश्रम ???...परन्तु परिश्रम के रास्ते हजार हो सकते है, और बहाने तो प्रत्येक क्षेत्र में लाख ही होते है...बेशक...अतः, Therefore, So that.....(180-15=165) & (165=1+6+5=12)...वैदिक गणना कहती है....12 घंटे--दिन या रात...12 महीने...12 राशियाँ...12 वर्ष अर्थात कुम्भ--सिंहस्थ...महा-पर्व...."अमृत-मंथन" का प्रसाद...अतिविशिष्ट का साधारण को सहज-दर्शन...और वैदिक गणना ने हमेशा समय को सम्मान दिया है...(12=1+2=3) & (2-1=1).....वैदिक गणना अनुसार सम्पूर्ण वर्ष या प्रतिदिन सकारात्मक सिद्ध हो सकता है...3 महीने....90 days...तथा एक घंटा प्रतिदिन...90 घंटे...सहज परिश्रम...न कोई नागा(shortfall)....न कोई बदली(subtitute)....सहज अनवरत(Without fail)...किसी भी विषय का अध्ययन...किसी आयाम को छूने की कामना की सहज पूर्ति...मात्र अध्ययन के माध्यम से...प्रार्थना के शब्दों का एक-मात्र उदगम-स्थल....मात्र अध्ययन...अध्ययन के अनेक अंग....सबका एक ही रंग....मात्र, सिर्फ, केवल, Only..."सत्संग"...जहाँ और कुछ नहीं हो सकता है, बस...."ईश्वर की उपस्तिथि का अहसास होता है"...चिरस्थायी, अक्षय, विराट...मात्र आनंद को सफल तथा सुफल बनाने के लिये...यही है 'विनायक-योग'...ठीक जैसे उत्तम 'वैदिक-योग'....सम्पूर्ण चर्चा का "संपर्क-सूत्र'..."विनायक-सूत्र"...."91654-18344"...'9+1+6+5+4+1+8+3+4+4'='45'="9" अर्थात सहज अक्षय समीकरण....इस समीकरण में सम्पूर्ण अंक-शास्त्र सिर्फ तीन अंक गायब है.....0, 2, 7... और (0+2+7=9)....जो अप्रत्यक्ष है, वही प्रत्यक्ष है....यह बात अलग है कि दोनों को जानने के लिए समीकरण हल करना अनिवार्य है...सात्विक तथा सहज परिश्रम...'विनायक-परिश्रम'....हार्दिक स्वागतम @ 91654-18344...INDORE+UJJAIN+DEWAS...www.vinayaksamadhan.blogspot.in.....जय हो...सादर नमन...Regards..




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