Friday 4 November 2016

#अंतर्राष्ट्रीय रूप से....सम्पूर्ण सृष्टि में....सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में....सारी कायनात में.....कण-कण में...श्वास-श्वास में....
मन्त्र विज्ञान का मूल आधार है....शब्द....आसक्ति...लगाव...आकर्षण...ध्यान...अनुसरण...एक शब्द का पर्यायवाची और उसी शब्द का विपरीत...और उसी शब्द का समानार्थी शब्द....अनेक हो कर भी एक...अर्थात एक व्याधि के लिये अनेक उपचार....एक मन्त्र अनेक जगह काम आता है...शब्दो को शीघ्रातिशीघ्र प्रकट किया जा सकता है....त्वरित रूप स्व सुना जा सकता है...और मनन-चिंतन हेतु लिपिबद्ध किया जा सकता है.....एक सूत्र अनेक प्रश्न हल कर सकता है....दुनिया का ऐसा कोई कारागृह नही जहाँ शब्दो को कैद किया जा सकता है....जैसे अस्पतालों में पहलवान का कोई काम नही....और फांसी के लिये जल्लाद की नियुक्ति आवश्यक....एक आदमी दुनियादारी निभाने के लिये पर्याप्त.....और खासियत आदमी मे नही....बल्कि शब्द ताकतवर होना चाहिये....और मन्त्र किसी भी अनुष्ठान को महोत्सव बनाते है.....
The way we think....the way we behave.....the way we eat....can influence our life by 30 to 50 years....
सिर्फ रहना,कहना और सहना....आहार, विहार, सदाचार...इसी मे जीवन के विभिन्न प्रयोग...और मन्त्र कभी पीछा नही छोड़ते....ठीक जैसे गिनती और पहाड़े....उपयोग न हो तो भूलने का डर....याद हो जाये तो बेख़ौफ़...यह सबका अनुभव कि तीन घंटे की फिल्म टुकड़ो मे भी देख सकते है....विज्ञापन की दुनिया....तमाशो से भरपूर....पर धंधे की फिल्म पुरे बारह घंटे की....जो तू सच्चा बनिया तो साँची हाट लगा....पिच पर टिक कर खेलना गंभीरता की निशानी है....बरकत का नियम या सिद्धान्त या सूत्र या रहस्य....सफलता के अनेक नाम...बस यह ध्यान रखने लायक कि...थोक और खुदरा मूल्य मे ज्यादा अंतर हो जाये तो बिचौलियों की पौ-बारह....जबकि बारह का अंक समान रूप से व्यवहार मे आता है....दिन मे, रात मे.....घड़ी मे....साल के बारह महीने.....और बारह साल सात्विकता को समर्पित....आध्यात्मिकता का उत्सव....सिंहस्त....उत्तम विचारो का प्रसार सर्वोत्तम धर्म माना जा सकता है....और जीवन के व्यवहारिक ज्ञान का प्रसार संत का काम होता है....आहार, विहार, सदाचार के रूप में....जीन्स, T-शर्ट के युग मे नवयुवक कुर्ता-पाजामा पहनने मे संकोच करने लगे है.....जबकि धोती-कुर्ता पूर्णतः आघ्यात्मिक परिवेश...प्रस्तुत है श्री विनायक के बारह नाम......हर नाम का एक ही अर्थ विघ्न-विनाशक.....किसी का भी, किसी भी विषय मे शत-प्रतिशत सही होना असम्भव है.....यही ज्योतिष-शास्त्र की सिद्धि हो सकती है....जो-जो जब-जब होना है....होगा...जीवन अपार संभावनाओं का अनंत सागर है....आकलन द्वारा उपाय मे सरलता हो...छोटे-बड़े की बात कहाँ से आती है ?....इसका उत्तर यही कि चोर की दाढ़ी मे तिनका का मतलब क्या होता है ?....छल-कपट का मतलब हर शब्द-कोश मे....तब किसी की अज्ञानता का फायदा हमेशा के लिये सम्भव नही...जनता-जनार्दन सबसे होशियार....पल मे हो जाये खबरदार...और आदेश की जगह चेतावनी को गंभीरता से अनुपालन करे...आज की त्वरित आवश्यकता....ज्वलंत समस्या का समाधान...घर के अंदर हो या बाहर...वृक्ष लगाओ, पर्यावरण बचाओ....बेटी बचाओ, बहु लाओ...मात्र आनन्द के लिये हम सम्पुर्ण सर्च इंजिन को खंगाल सकते है....तब यह आध्यात्मिक विषय बन जाता है...you may search into Google....just say "vinayak samadhan".....बातों-बातों में....खेल-खेल मे....चलते-फिरते...

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