Saturday 19 November 2016

ना नोट....ना वोट....ना कोई लाईन....कोई हाय-तौबा नहीं.....
the power of LOVE...whenever love glows, it is bliss...
a state of perfect happiness....
चन्दनं शीतलं लोके,चन्दनादपि चन्द्रमाः |
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः ||
अर्थात् संसार में चन्दन को शीतल माना जाता है लेकिन चन्द्रमा, चन्दन से भी शीतल होता है.....और अच्छे मित्रों का साथ चन्द्र और चन्दन दोनों की तुलना में अधिक शीतलता देने वाला होता है....यानि कि वास्तविक ताकत....जो किसी भी संत के पास सहज रूप से निश्चिन्त रूप से होती है....तब संत कौन ?....
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।
हम में हर एक....इस संसार में ऐसा सज्जन जो अनाज साफ़ करने वाला सूपडा साबित हो...जो सार्थक को बचा कर निरर्थक को उड़ा दे...आदमी अपनी कुशलता से कितना भी आगे चला जाये, फिर भी एक समय मे खुद को ऐसे स्थान पर खड़ा पाता है, जहाँ से उसे आगे का रास्ता मालुम नही होता है...बस यह मानना होगा कि यहीं से ईश्वरीय सत्ता शुरू होती है...अवसाद और विषाद का सामना सभी करते है...स्वयं के प्रति संशय हो तो जीवन मे पलायन का अध्याय शुरू होता है...तब स्वयं की सत्ता से ज्यादा शक्तिशाली ईश्वर की सत्ता सिद्ध होती है...जो अवसाद की अपेक्षा आनंद को उत्पन्न करती है...समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव.....हार्दिक स्वागतम…..”विनायक समाधान” @ 91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS)

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