Friday 4 November 2016

पार्वती-पति...हर-हर शम्भू....पाहि-पाहि दातार हरे...शिव-भक्ति सर्वाधिक सरल...शिव-आराधना सर्वाधिक आसान....शिव-मार्ग सर्वाधिक सहज...
चन्दनं शीतलं लोके,चन्दनादपि चन्द्रमाः |
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः ||
अर्थात् संसार में चन्दन को शीतल माना जाता है लेकिन चन्द्रमा, चन्दन से भी शीतल होता है.....और अच्छे मित्रों का साथ चन्द्र और चन्दन दोनों की तुलना में अधिक शीतलता देने वाला होता है....यानि कि वास्तविक ताकत....जो किसी भी संत के पास सहज रूप से निश्चिन्त रूप से होती है....तब संत कौन ?....
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।
हम में हर एक....इस संसार में ऐसा सज्जन जो अनाज साफ़ करने वाला सूपडा साबित हो...जो सार्थक को बचा कर निरर्थक को उड़ा दे...यदि यह सिद्धि सिद्ध हो जाये तो कोई भी पुरुष योगी कहला सकता है....तब योगी कौन ?...
तन को जोगी सब करें, मन को बिरला कोई...
सब सिद्धि सहजे पाइए, जे मन जोगी होइ...
शरीर पर भगवे वस्त्र धारण करना सरल है....पर मन को योगी बनाना कठिन अभ्यास का काम है ....मन की चंचलता के आगे प्रकृति भी हार जाती है...य़दि मन योगी हो जाए तो सारी सिद्धियाँ सहज ही प्राप्त हो जाती हैं......मात्र आनन्द के लिये हम सम्पुर्ण सर्च इंजिन को खंगाल सकते है....तब यह आध्यात्मिक विषय बन जाता है...you may search into Google....just say "vinayak samadhan".....बातों-बातों में....खेल-खेल मे....चलते-फिरते.....सत्यम्.....शिवम्......सुंदरम्......एकांत में जाग्रत एकाग्रता हो और सार्वजानिक होने में सुन्दरता, शालीनता और सुकून हो....बस इसी तथ्य पर सिद्धि अंत तक सुरक्षित रह सकती है.... LIGHTS….CAMERA…..ACTION.... be a "HYDRANT" personality....सरल अर्थात पानीदार बनने का परामर्श...जमींदार बनने की बात नहीं....ABILITY TO SOAK MORE WATER...जल की पर्याप्त मात्रा...GIVES SOFTNESS & FRESHNESS..... FOR ALL THAT MORE LONGER..... TO RETAIN WITH REGAIN.... RICHNESS OF TEXTURE...तब लहलहाती है....."THE PROSPERITY"....मेरे देश की धरती....सोना उगले....इधर का माल उधर....उधार से उद्धार का उदगार भला कब तक ?....यहाँ की ऊर्जा वहाँ...और संपर्क के साथ संप्रेषण सही हो जाये....तमसो मा ज्योतिर्मय..…part of every day life.."विनायक समाधान"...@...91654-18344.....(INDORE/UJJAIN/DEWAS)…

No comments:

Post a Comment