मिर्च हो या मसाले ज्यादा मात्रा में कब्ज को बढ़ाने काम करते है....जीभ तो
तब तक स्वाद को जानती जब तक प्रदार्थ जीभ पर टिका है...मिर्ची लगने की बात
नहीं....फिसलने की बात नही...एक्सीडेंट होने का मुख्य कारण एक्सीलेटर पर
ज्यादा दबाव...और घबराहट मे तो कुछ ज्यादा ही....जबकि गति का नियंत्रण तो
ब्रेक से होता है....और मीटर की स्पीड से सभी घबराते है....विद्युत-मंडल का
मीटर घर की दहलीज के अंदर और दूरसंचार का मीटर दूरभाष-केंद्र मे...और
दोनों का तोड़-बट्टा प्री-पेड सिस्टम...दहलीज की मर्यादा
का सीमांकन अनिवार्य और आवश्यक हो तो अनेक बाधाओं से बचा जा सकता
है...बाधाएं कभी कह कर नहीं आती....ना धूम्रपान, ना मद्यपान....फिर भी
मात्र प्रदुषण के कारण गंभीर बीमारियाँ फ़ैल जाती है...इसके उपरान्त भी
नियंत्रण की कोई पहल नही...अपना घर साफ़ रखने के चक्कर में मोहल्ले को
गन्दा करना शत-प्रतिशत अवैध और अनुचित काम...उचित तो यही कि....स्वच्छ रहे
भारत, स्वच्छ रहे हम....बस जरा सी मेहनत की दरकार
है....vinayaksamadhan.blogspot.in मे लगभग चार सौ इसी प्रकार की
चर्चाएँ...कोई प्रवचन नही...सिर्फ मिलने-जुलने से उत्पन्न अनुभव की
झलक...गूगल के सर्च-इंजिन में भी खंगाल सकते है...चार सौ बीसी की बात
नही....मंदिर की मूर्ति में भगवान की झलक होती है...किन्तु घर मे अपनों में
भगवान का रूप दिखे तो यह खुद के आध्यात्मिक होने का पक्का प्रमाण हो सकता
है....जैसे फलों में रस की उपस्तिथि फल के आध्यात्मिक होने का पक्का
सबूत....और गवाही मे ज्ञाननेंद्रियाँ....बाकी के गवाह तो कभी भी पलट सकते
है...और केस को उलट-पलट कर सकते है.... आनन्द के लिये हम सम्पुर्ण सर्च
इंजिन को खंगाल सकते है....तब यह आध्यात्मिक विषय बन जाता है...you may
search into Google....just say "vinayak samadhan".....बातों-बातों
में....खेल-खेल मे....चलते-फिरते....सादर नमन्...जय हो..."विनायक-चर्चा"
हेतु हार्दिक स्वागत....विनायक समाधान @
91654-18344...INDORE/UJJAIN/DEWAS...
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