on line मतलब सोशल-मीडिया....सबको अपनी बात प्रस्तुत करने का हक़
है.....छापने के लिये संपादक के सम्मुख कोई निवेदन नही.....बस सात्विकता के
तहत कार्य जारी रहे....सफलता संभव है....तहकीकात के सवाल पर शक या बवाल की
बात नहीं.....जीते जी लुकमान जी के पास भी शक का ईलाज नहीं....मर कर जीने
की बात नहीं...मन मार कर सबको जीना पड़ सकता है....तेरा दर्द ही मेरा हयात
है....घर की शांति के लिये टोने-टोटके की बजाय टेक्नीक ज्यादा कारगर हो
सकती है...बात घुमा-फिरा कर प्रस्तुत की गयी है.....(*_*).....समझ मे आ
जाये तो शोले...हर चेहरा अमर रहेगा....जैसे मस्तानी शाम..अपनी ही धुन में
मस्त रहने का आलम....कुत्रुड ध्वनि से भली पंछियों की चहचहाहट...यवनी या
सियफनी की बात नहीं...ध्वनि की बात अवश्य....मंदिर की घंटी.....काशी की
कामना...जहाँ तक आवाज जाये....परिधि कायम हो जाये....बात परोसदारी की
नहीं....असल मेहनत तो तैयारी मे लगती है....पुराने समय मे या आज भी
सम्भव....सँयुक्त परिवार में खाली समय मे नवयुवको द्वारा, बुजुर्गो के
हाथ-पैर दबाने का क्रम....या फिर क्रमचय-संचय...चाय वाली बात नही....चाय
पिलाना मतलब काबू मे करना....जियो और जीने दो....जादू की झप्पी....बुजुर्गो
द्वारा बच्चो को....जादू तो यही बाकि सब हाथ की सफाई.....और सफाई के
अभियान के तहत हम अपने बच्चों को नियमित स्वच्छ रखते है...और बुजुर्गो को
हाईजेनिक-ट्रीट देते है तो प्रतिपल हम अपनी जागरूकता गर्व से प्रदर्शित कर
सकते है....क्या समय-समय पर अपने लोगो को स्वास्थ्य-रक्षक उपकरण प्रदान कर
सकते है ???...यह ध्यान मे रखते हुये कि बच्चे हर घर में....और बुजुर्ग हर
कही मिलेंगे....बस याद करने की देर है....सिर्फ गिफ्ट ही नही...उपकरण को
इस्तेमाल करने मे मदद करना भी हमारा ही सौभाग्य होगा......दादर के एक
वरिष्ठ मित्र जिन्हें फादर से संबोधित करने में आनंद आता है....गद-गद हो
गये...विदेशों में...रुमाल की जगह पेपर-हेण्डकरचीफ को आवश्यक माना जाता
है....डस्टबीन का भरपूर उपयोग.....इस प्रकार का गिफ्ट प्रोत्साहन की
पहचान....इकोनोमिकल....इकोफ्रेंडली.... तीन-तालाब मे एक मछली की बात
नही....संपूर्ण शाकाहार सर्वोत्तम.....वर्ना शरीर की व्याधि....प्रसार मे
शीघ्रातिशीघ्र...अति वर्जित रहे...फुंसी को फोड़ा होते देर ना
लगे...फटाफट....शरीर को सुन्न करके काटना आसान....मगर चीरा लगा
कर....चिर-हरण की बात ही नही....हलाल मे नमक ही फिट....सुपर-हिट...फिटकरी
की बात नही....हींग से स्वाद चौखा की बात अवश्य....मगर तीखे की बात
नही....जिस प्रकार एक्यू-प्रेशर...और एक्यू-पंक्चर....इन पद्धतियों में
सिद्ध किया जाता है कि पूरे शरीर के रोम-रोम आपस में संपर्क रखते है...मतलब
कहीं का अनुभव कहीं और....ईमानदारी से....तब कोई चिन्दी-चोरी
नही....रोम-रोम के धागे सिर्फ उँगलियों से जागे...और पैदल तीर्थ-यात्रा वह
भी पूछते-पूछते...कावड़-यात्रा दल-बल के साथ.....…मतलब सिवाय आध्यात्मिक
होने के अलावा कोई चारा नही...जग ढूंढ लिया जाये, कोई विकल्प नही....दुनिया
मे चिकित्सा शास्त्र उन्नति करता रहे कोई आपत्ति नही...मगर प्लास्टिक कचरा
फ़ोकट का कबाड़-खाना...सचमुच कबाड़ा करे....जन्म हुआ...ईश्वर को
‘धन्यवाद’.....मनुष्य योनी में हुआ---‘सर्वोत्तम’......और माता-पिता का
साथ---साक्षात ‘स्वर्ग’....और बाकि के संपर्क इस दुनिया को ‘स्वर्ग से
सुन्दर’ बताते है.....यदि उज्जैन में रह कर धर्म पर बात ना हो तो उपरोक्त
सभी तथ्य निराधार हो सकते है.....और देवास में शक्ति कि भक्ति का अलग ही
आनंद.....और इंदौर में संपर्क प्रगाढ हुए तो अहिल्या की वाणी में
राग-मल्हार....हार्दिक स्वागतम…..”विनायक समाधान” @
91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS)…
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