Friday 4 November 2016

तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक ।।
यह तुलसी की गवाही.....मुश्किल वक्त में ये चीजें मनुष्य का साथ देती है....ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, सत्य और राम का नाम.....और ये सुकून की बात है कि ये चीजें बाजार की बजाय हमारे अंतर्मन में उपलब्ध....
कामिहि नारि पिआरि जिमि लोभिहि प्रिय जिमि दाम ।
तिमि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहु मोहि राम ॥
काम के अधीन व्यक्ति को नारी प्यारी लगती है....लालची व्यक्ति को जैसे धन प्यारा लगता है....हे रघुनाथ, हे राम, आप मुझे हमेशा प्यारे लगिए...हे नाथ...मैं आपको कभी ना भूलूँ....और धर्म के शब्दकोश में अनाथ शब्द निरर्थक....तब अनाथ कौन ?...
सो तनु धरि हरि भजहिं न जे नर ।
होहिं बिषय रत मंद मंद तर ॥
काँच किरिच बदलें ते लेहीं ।
कर ते डारि परस मनि देहीं ॥
जो लोग मनुष्य का शरीर पाकर भी राम का भजन नहीं करते है....बुरे विषयों में खोए रहते हैं...वे लोग अशुद्ध आचरण से पारस मणि को फेंक देते है और काँच के टुकड़े हाथ में उठा लेते है....तब आनंद की उत्पत्ति कैसे हो ?...
विद्या ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् ।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥
तब विद्या से विनय...विनय से पात्रता....पात्रता से धन...धन से धर्म और धर्म से सुख प्राप्त होता है....सब-कुछ मर्यादित...
विद्या शस्त्रं च शास्त्रं च द्वे विद्ये प्रतिपत्तये ।
आद्या हास्याय वृद्धत्वे द्वितीयाद्रियते सदा ॥
शस्त्रविद्या और शास्त्रविद्या....दोनो प्राप्त करने योग्य विद्या हैं....पहली वृद्धावस्था में हास्यास्पद बनाती है.....दूसरी सदा आदर दिलाती है....तब आदर भी कब तक ?....
अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् ।
अधनस्य कुतो मित्रममित्रस्य कुतः सुखम् ॥
आलसी व्यक्ति के भाग्य में विद्या नही....विद्या हीन व्यक्ति के भाग्य में धन नहीं.....धनविहीन व्यक्ति, मित्रविहीन....और मित्रविहीन व्यक्ति को सुख कहाँ ?.....मात्र आनन्द के लिये हम सम्पुर्ण सर्च इंजिन को खंगाल सकते है....तब यह आध्यात्मिक विषय बन जाता है...you may search into Google....just say "vinayak samadhan".....बातों-बातों में....खेल-खेल मे....चलते-फिरते..समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव.....हार्दिक स्वागतम…..”विनायक समाधान” @ 91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS)…

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