Saturday 19 November 2016

गुस्से मे काम को आधा-अधूरा छोड़ देना....गुस्से मे सामान्य से ज्यादा भोजन करना....गाड़ी की गति दुगनी करने की कोशिश करना...कम शब्दों की बजाय आवेश भरे लंबे-लंबे वाक्यो का प्रयोग...और वाक्य में अपशब्दों का प्रयोग करना....चेहरे के शांत-भाव अचानक तमतमा जाये...वस्तुओं की उठा-पटक में अचानक जोर-शोर का शामिल हो जाना....यह सब-कुछ ऑटोमेटिक होने लग जाये तो कोई आश्चर्य नही....किन्तु चलती गाड़ी को रोकने के लिये ब्रेक का इस्तेमाल हर कोई करता है....जिस गाड़ी के ब्रेक जितने मजबूत, गाड़ी की गति उतनी तेज़....और कितनी किताबों मे क्रोध को कंट्रोल करने की कितनी विधियाँ ?....जबकि गाड़ी सिखने के लिये किसी किताब की कोई आवश्यकता नही...मजे की बात यह कि दोनों काम का एक ही सूत्र...काम की बात....कोई भी काम केवल करने से होता है....होशो-हवाश मे....आपा खोने की बात नही....खाने-पीने की बात नही....बस क्रोध को पीने की कला सीखने की बात हो सकती है....पीने-पिलाने के लिये प्याऊ पर्याप्त...और शांत रहने के अनेक उपाय....शीतल-जल गटकने मे सुकून किन्तु क्रोध तो गरमा-गरम....चाय की तरह...हर चुस्की एक फुँक के साथ....सिर्फ एक चुटकी हवा की कीमत क्या होगी बाबु ?....तो क्या वास्तव मे क्रोध को काबू मे करना इतना सरल ?...तो तब भी हर गाड़ी मे ब्रेक होते हुये भी इतनी दुर्घटनाएं क्यों ?....विवादों की बात नही किन्तु सभी विद्ववानों का न्याय-क्षेत्र सिर्फ प्रार्थना-स्थल हो होता है...जीवन सचमुच मूल्यवान है....और मनुष्य की निगाह मे मूल्यवान कुछ और....धन, सम्मान, सत्कार, अधिकार, प्रभुत्व... हर मार्ग मे कष्ट....और समाधान के रूप मे...गीता को पवित्र आचरण द्वारा सुगीता बनाया जाये....जीवन के प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करने के लिये यही एक-मात्र रास्ता है...तब कोई और शास्त्र अनिवार्य नही है...समस्त शास्त्रों की स्वामिनी....श्रुतियों की महारानी....वेद मंत्रों का शक्ति-पुँज....बातों-बातों में....खेल-खेल मे....चलते-फिरते.....धारयताम पक्षबलेन...अर्थात HOLD WITH THE STRENGTH OF WINGS...हवा मे टिकने की कला पक्षी बचपन से ही सीख लेता है....और आदमी हवा मे उड़ने की कोशिश करता है...पक्षी के समकक्ष, परन्तु परिंदा अन्ततः....एक कदम आगे...या कहे कि outstanding....गीता में श्री कृष्ण कहते हैं..…सभी प्रकाशीय वस्तुओं में प्रकाश उत्पन्न करनें की ऊर्जा , मैं हूँ...और प्रार्थना करने पर सन्देश मिलता कि DON’T WORRY…..”मै हूँ ना”.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव....आपकी कृपा से सबका सब काम हो रहा है और होता रहे..... हार्दिक स्वागत......”#विनायक-समाधान#” @ #09165418344#... #INDORE#/#UJJAIN#/#DEWAS#...जय हो...सादर नमन...#Regards#.

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