Saturday 5 November 2016



जो वक्त पर साथ दे, वही अपना बाकि तो सब सपना...और अपने लोग साथ देने मे ना दिन देखते है, ना रात...खोया-पाया केंद्र में सम्मान की घोषणा समय-समय पर होती रहती है....बस थोड़ा धैर्य धारण करना पड़ता है...किसी भी व्यवसाय मे बच्चों को सिखाया जाता है...मंदी मे बुद्धि मंद ना हो जाये....रोजमर्रा की जिंदगी मे आध्यात्म के दर्शन होते रहे तो जीवन सदाबहार सिद्ध होता रहता है...अर्थात रस की बौछार...पुस्तकों मे...पांडाल मे....मंदिर मे...घर मे...दूकान मे...उमंग यत्र-तत्र-सर्वत्र...बस सरकार से जरा सी मेहनत की दरकार है....vinayaksamadhan.blogspot.in मे लगभग चार सौ इसी प्रकार की चर्चाएँ...कोई प्रवचन नही...सिर्फ मिलने-जुलने से उत्पन्न अनुभव की झलक...गूगल के सर्च-इंजिन में भी खंगाल सकते है...चार सौ बीसी की बात नही....मंदिर की मूर्ति में भगवान की झलक होती है...किन्तु घर मे अपनों में भगवान का रूप दिखे तो यह खुद के आध्यात्मिक होने का पक्का प्रमाण हो सकता है....जैसे फलों में रस की उपस्तिथि फल के आध्यात्मिक होने का पक्का सबूत....और गवाही मे ज्ञाननेंद्रियाँ....बाकी के गवाह तो कभी भी पलट सकते है...और केस को उलट-पलट कर सकते है.....आनन्द के लिये हम सम्पुर्ण सर्च इंजिन को खंगाल सकते है....तब यह आध्यात्मिक विषय बन जाता है...you may search into Google....just say "vinayak samadhan".....बातों-बातों में....खेल-खेल मे....चलते-फिरते...

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