चाय पिलाना मतलब काबू मे करना....जियो और जीने दो....जादू की
झप्पी....बुजुर्गो द्वारा बच्चो को....जादू तो यही बाकि सब हाथ की
सफाई.....और सफाई के अभियान के तहत हम अपने बच्चों को नियमित स्वच्छ रखते
है...और बुजुर्गो को हाईजेनिक-ट्रीट देते है तो प्रतिपल हम अपनी जागरूकता
गर्व से प्रदर्शित कर सकते है....क्या समय-समय पर अपने लोगो को
स्वास्थ्य-रक्षक उपकरण प्रदान कर सकते है ???...यह ध्यान मे रखते हुये कि
बच्चे हर घर में....और बुजुर्ग हर कही मिलेंगे....बस याद करने की देर
है....सिर्फ गिफ्ट ही नही...उपकरण को
इस्तेमाल करने मे मदद करना भी हमारा ही सौभाग्य होगा......दादर के एक
वरिष्ठ मित्र जिन्हें फादर से संबोधित करने में आनंद आता है....गद-गद हो
गये...विदेशों में...रुमाल की जगह पेपर-हेण्डकरचीफ को आवश्यक माना जाता
है....डस्टबीन का भरपूर उपयोग.....इस प्रकार का गिफ्ट प्रोत्साहन की
पहचान....इकोनोमिकल....इकोफ्रेंडली.... तीन-तालाब मे एक मछली की बात
नही....संपूर्ण शाकाहार सर्वोत्तम.....वर्ना शरीर की व्याधि....प्रसार मे
शीघ्रातिशीघ्र...अति वर्जित रहे...फुंसी को फोड़ा होते देर ना
लगे...फटाफट....शरीर को सुन्न करके काटना आसान....मगर चीरा लगा
कर....चिर-हरण की बात ही नही....हलाल मे नमक ही फिट....सुपर-हिट...फिटकरी
की बात नही....हींग से स्वाद चौखा की बात अवश्य....मगर तीखे की बात
नही....जिस प्रकार एक्यू-प्रेशर...और एक्यू-पंक्चर....इन पद्धतियों में
सिद्ध किया जाता है कि पूरे शरीर के रोम-रोम आपस में संपर्क रखते है...मतलब
कहीं का अनुभव कहीं और....ईमानदारी से....तब कोई चिन्दी-चोरी
नही....रोम-रोम के धागे सिर्फ उँगलियों से जागे...और पैदल तीर्थ-यात्रा वह
भी पूछते-पूछते...कावड़-यात्रा दल-बल के साथ.....…मतलब सिवाय आध्यात्मिक
होने के अलावा कोई चारा नही...जग ढूंढ लिया जाये, कोई विकल्प नही....दुनिया
मे चिकित्सा शास्त्र उन्नति करता रहे कोई आपत्ति नही...मगर प्लास्टिक कचरा
फ़ोकट का कबाड़-खाना...सचमुच कबाड़ा करे....परन्तु इन दोनों मौलिक तरीको
का कोई तोड़ नही....यही कारण है कि शारीरिक श्रम करने वाले को कम दर्द होता
है...और इसी कारण वह आराम से सोता है...इस पहलु मे भुत-भविष्य-वर्तमान सरल
रूप से शामिल....इन पद्धतियों मे हृदय और किडनी से महत्वपूर्ण हाथ के
पर्वत और सिर के बिंदु हो सकते है..सिर की मालिश और हाथो की
ताली....अमृतमय...बिना किसी मंथन के....जैसे आध्यात्म मे नाद और
ज्ञानेन्द्रियाँ.....तालियों की गड़गड़ाहट ताकतवर लोगो के पक्ष मे होती
है...
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