Friday 4 November 2016

FIND YOUR KINGDOM....कारोबार कितना आसान...ले-दे कर एक ही मुद्दा.....इज़ ऑफ़ डूइंग बिजिनेस....सौ बात की एक बात....देश का पैसा देश मे.....भराई, सिलाई, तगाई....बस हो गयी रजाई तैयार....चाहे सांगानेरी हो या जयपुरी...पाइये शाही अहसास...रजाई मे रोएँ नहीं....सहज....लेकिन टक्कर देने के लिये....कम्बल का कारोबार...रोएँ बिना कम्बल नही.....जब उम्र बढ़ती लगती है तो सुन्दरता कम होती जाती है....लेकिन सम्मान भी बढ़ने की पूरी-पूरी संभावनाएँ.....किन्तु उम्र बढ़ने के साथ-साथ कर्कशता बढ़ जाये तो सम्मान का हवा-महल पल भर मे सुपुर्द-ए-खाक हो सकता है....स्त्री हो या पुरुष....कम से कम शुरुआत मे विनम्रता का पहलु हो....और मौन साधना समय-समय पर होती रहे तो सर्वोत्तम.....कुत्रुड़ आवाज बर्दाश्त से बाहर हो जाती है तो बातचीत हमेशा के लिये बंद हो सकती है...और संगीत के सात सुर पुरे जगत मे भारत की देन....और प्रकृति की देन...प्राकृतिक कीट-नाशक का रूप तंबाकू....यह बात अलग कि आदमी इसका रूप बदल कर इसे और भी हानिकारक बना देता है.....तंबाकू की खेती सरकार की नपती मे....तंबाकू की बागड़ खेत नहीं खाती है मगर तंबाकू की फसल पूरा आदमी खा जाती है....नरभक्षी....हालांकि कहानी की शुरुआत आदमी करता है....खा कर....थूकने की चीज गटक कर....ठीक से काम करने की बजाय हर फ़िक्र को धुएँ मे उड़ा कर....खुदरा और थोक के मूल्यों में अंतर से बिचौलियों को फायदा जबरदस्त...यह कारस्तानी अंतराष्ट्रीय स्तर पर...विदेशी लोग लगातार कार्य करते रहते है....और मानसिक कार्य लगातार करने से...शरीर मे शिथिलता आती है....तब मद्य-पान की संभावनाये बढ़ जाती है....तब योग फायदेमंद हो सकता है....और शावर की बजाय लोठे का स्नान सर्वोत्तम माना जा सकता है...और यह चेतावनी कि शिथिलता बढ़ने से स्नान की संभावनाये कम हो सकती है...पानी के साथ गतिशीलता अनिवार्य है....पानी में तैरने के अलावा कोई काम नही....स्नान सर्वोत्तम योग की श्रेणी मे प्राकृतिक रूप से शुमार है....प्राचीन समय मे नदी के घाट या कुओं पर स्नान उत्तम माना जाता था...और प्राचीन भारत में लगातार काम करने की थकान उतारने का यही रास्ता था....अब ज्यादातर लगातार काम का एक ही रूप टी.वी. या कंप्यूटर पर भिड़े रहना....और पश्चिम हो या पूर्व....दो काम कभी फटाफट ना हो....जल्दी का काम शैतान का काम....भोजन और स्नान.....चाहे इंसान हो या भगवान....जितने इत्मीनान से होंगे....जिंदगी लंबी और खुशहाल....चबा का खाओ और मल-मल कर नहाओ.....और सभी रोगों को कोसो दूर भगाओ....जय हो...सादर नमन...सादर प्रणाम”.....आपकी खुशहाली एवम् सुफलता ही हर अभियान की सफलता मानी जा सकती है....एवम् सही कार्य उपलब्ध न हो तो व्यक्ति हताशा एवम कुंठा से ग्रसित हो कर स्वयं को असफल घोषित मानने लगता है...और एक विद्वान मित्र ने कहा है....”GRANT ME A PLACE TO STAND I SHALL LIFT THE EARTH”….अर्थात....शुद्ध परामर्श...”TRAIN YOUR ‘MIND’…TO MIND YOUR ‘TRAIN’…..यही विनय !...हार्दिक स्वागतम…..”विनायक समाधान” @ 91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS)…

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