R & D तो होना चाहिये....तब पहला कदम सर्च-इंजिन को खंगालना....और कोई
चारा नही....हर महापुरुष की कहानी संघर्ष से शुरू होती है....बच्चा एक पेज
ठीक से पढ़ ले तो साधना की शुरुआत....वही बच्चा एक पेज लिख ले तो साधना
सफल....और बिना देखे एक पेज लिख ले तो साधना सिद्ध हो जाती है....और एक के
एक बाद लिखते जाये तो सिद्धि की सफलता......unknown is ocean & known
is DROP....ज्ञानेन्द्रियों मे पानी भर जाये तो मुसीबत और eye-drop और
ear-drop से 'जैसे थे'....as it is....सब कचरा साफ़.....सफलता के कई
पहलु हैं....धन उसमे से बस एक घटक है.....लेकिन सफलता में अच्छी
सेहत,उर्जा और जीवन के लिए उत्साह, परिपूर्ण रिश्ते....रचनात्मक
स्वतंत्रता...भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्थिरता....परीक्षा और साक्षात्कार
मे कुछ अन्तर है ?...आमने-सामने या फिर FACE TO FACE....प्रत्यक्ष या
अप्रत्यक्ष....परोक्ष या साक्षात या सापेक्ष....निःसंदेह..सौ साल बाद भी यह
पोस्ट ताजा-तरीन कायम रह सकती है...आस्था का आधार....मेरा भारत महान...ऐसा
कोई समुदाय नही जो शांति नहीं चाहता.....मन में एक हलचल अवश्य हो सकती
है....जैसे पानी मे कंकर फेंक कर लहर पैदा की जा सकती है...और यह वास्तविक
क्रिया है....सॉफ्टवेयर की बात नहीं...लेकिन हार्डवेयर में हाथ में कंकर और
पैंदे में पानी जरुरी है....और लहर स्क्रीन को कवर कर लेगी....बस इतनी सी
क्रिया मे सॉफ्टवेयर की फैक्ट्री चल निकलती है....दो लोगो मे
विचार...आमने-सामने....BEST SOFTWARE....पल भर में रोने और हँसने की खासियत
तो सिर्फ बच्चो में संभव है...यानि कि मासूमियत.....बड़े लोग ऐसा करते है
तो खासी फ़जीहत...आपके और आपके द्वारा चयनित माध्यम के बीच तालमेल में
लय-ताल....जमाना फ़ास्ट है....खबरे मिनटों में आग की तरह फैल जाती
है....पब्लिक को क्वालिटी चाहिये....गप्पबाजी को ताक में रख दिया जाता
है....दो रुपये का अखबार आमना-सामना करने के लिये कभी भेदभाव नही करता
है....समाचार के अनेक चेनल...अगर रिपोर्टिंग ठीक नहीं तो ऑटोमेटिक TRP कम
होना तय है...स्तर बनाये रखने के लिए सक्रियता जारी रहना अनिवार्य
है....छवि....इमेज...सालो-साल लग जाते है...आदमी को साँचे मे ढलने के
लिये....बहुत सारे परिवर्तन करना पड़ते है...अनेक मतभेदों को ख़ारिज करना
पड़ सकता है....आदमी अपने स्वरूप से जाना जाता है...BEHIND THE
CURTAIN...पीठ पीछे क्या बात होती है ?...हर आदमी जानना चाहता है....यह बात
हर आदमी को मालूम होना चाहिये....तब इस बात का ख़ौफ नही कि लोग क्या
कहेंगें ?.....R & D तो होना चाहिये....तब पहला कदम सर्च-इंजिन को
खंगालना....और कोई चारा नही...यह ना करने पर हर कोई...बेचारा...आखिर हर
किसी को चाहिये सहारा....आनन्द के लिये हम सम्पुर्ण सर्च इंजिन को खंगाल
सकते है....तब यह आध्यात्मिक विषय बन जाता है...you may search into
Google....just say "vinayak samadhan".....बातों-बातों में....खेल-खेल
मे....चलते-फिरते.....सादर नमन्...जय हो..."विनायक-चर्चा" हेतु हार्दिक
स्वागत....विनायक समाधान @ 91654-18344...INDORE/UJJAIN/DEWAS.....
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