गवाह है....चाँद-तारे.....चमत्कार इस तरह कि रात सुबह का रूप ले लेती
है...कैसे ???...राम जाने या फिर हर कोई जाने....सेल्फी का अनुभव
सबको....किन्तु बगैर अनुमति के कोई फोटो खींच ले तब मन मे यह आशंका जन्म ले
सकती है कि बगावत की बोगी पर तो बागी ही सवार हो सकता है.....यह अध्ययन का
तरीका हो सकता है कि जहाँ टेबल-लेम्प है वहीँ टेबल भी होना चाहिये.....और
कुल मिला कर प्रकाश की उचित व्यवस्था हो.....सौ टका....सरल तथा
समकक्ष....और यह ना हुआ तो अँधेरे मे चश्मा भी काम नही करता....लैन्स जन्नत
मे भी उन्नत का कार्य करे....तब दो आँखों
से मन्नत से संतृप्ति....सहज-संतुष्टि....भोजन के लिये दो लोगो की
आवश्यकता होती है....बनाने वाले की और खाने वाले की....सच की
फैक्ट्री....तब पूछने का और परोसने वाले के पक्ष मे संपूर्णता की नैतिक
ज़िम्मेवारी आ जाती है...तैयारी मे शुद्धता...युद्ध के मैदान मे पसीना बहता
है तो खून पानी के रूप मे नही बहता...अर्थात....शुद्ध परामर्श...”TRAIN
YOUR ‘MIND’…TO MIND YOUR ‘TRAIN’…..यही विनय !...हार्दिक
स्वागतम…..”विनायक समाधान” @ 91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS)….
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