Saturday 5 November 2016

सहज-संतुष्टि....भोजन के लिये दो लोगो की आवश्यकता होती है....बनाने वाले की और खाने वाले की....सच की फैक्ट्री....तब पूछने का और परोसने वाले के पक्ष मे संपूर्णता की नैतिक ज़िम्मेवारी आ जाती है...तैयारी मे शुद्धता...युद्ध के मैदान मे पसीना बहता है तो खून पानी के रूप मे नही बहता.....शुद्ध रूप से घर की बात...माँग कर खाने वाली बात नही....स्त्रियों की विशेषता यह होती है कि.....चेहरा देख कर ही आटे की मात्रा तराजू मे तौल लें....कानून की देवी की तराजू....आँखों पर पट्टी वाली बात नहीं....हाथ के पलड़ों में संतुलन का प्रयास... शॉपिग-मॉल में जाने के लिये लिस्ट की आवश्यकता नहीं लेकिन बेवजह प्रलोभन में फायदा किसी और का...और व्यापारी को तब भी फायदा जब ग्राहक जेब मे लिस्ट ले कर आये....फायदे का सौदा....और % का चिन्ह सभी के लिये उपयुक्त...टका हो या आना...सही होना जरुरी....विशेष रूप से भोजन......होटल वाली बात नही...समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव.....हार्दिक स्वागतम…..”विनायक समाधान” @ 91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS)…

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