साधु का संबोधन...."बच्चा"...बच्चे भगवान का रूप होते है....ईश्वर के
अधिनस्थ तथा ईश्वर के समकक्ष....जेहन मे ईश्वर की संतान का
स्वरूप....प्राणी-मात्र परम-पिता का अंश....दंश का नामोनिशान नही....यही
कृपा है परमात्मा की...बीज का अंकुरण ही उसका धर्म....तब वह नर है या
मादा...???.....सुनिश्चिंत नही...निरुत्तर....प्रजनन की एकल क्षमता....जैसे
निर्विकार शिवलिंग...जैसे गुरु समान...जैसे वेद-पुराण....ज्योतिष वेद का
प्रमुख अंग है....वैदिक-साहित्य मे चक्षु-स्थान प्राप्त...तब वेदों का
उद्देश्य है, अनिष्ट का परिहार तथा इष्ट की प्राप्ति...इष्ट और अनिष्ट का
ज्ञान ही ज्योतिष का प्रमुख विषय है....किस समय इष्ट की प्राप्ति होगी
?...किस समय अनिष्ट घटित हो सकता है ?...तब हम सावधान रहे और उचित उपाय
द्वारा सुरक्षित रहे....समय की अवधि के आधार पर इष्ट-अनिष्ट का निर्धारण का
आकलन सिर्फ ज्योतिष-शास्त्र मे...वह अद्भुत-विद्या जो भौतिक-परिस्तिथि,
मानसिक-स्थिति तथा आध्यात्मिक-चेतना के सुसंयोग से जीवन को समग्र बनाने मे
सहायक हो....यह स्मरण करते हुऐ कि परिश्रम का कोई विकल्प नही....और इस विधा
का ज्ञाता बालक होते हुये भी चालक-स्वरूप होता है...विशिष्ट राजयोग विचार
अनुसार "कमल-योग" का कमाल....विशिष्ट लोग भी परामर्श के लिये संपर्क कर
सकते है....तब एक ही आधार....शुद्ध-अध्ययन....जिसका मुख्य आधार....आहार,
विहार, सदाचार....सरल दर्शन-शास्त्र.... ज्योतिष-शास्त्र और दर्शन-शास्त्र
में लगभग वही अंतर है जो हस्त-रेखा-विज्ञान तथा मुख-पठन (FACE-READING) में
संभव है...और यह अंतर अनुभव करने के लिये दोनों पहलुओं का अध्ययन करना
होगा...ज्योतिष शास्त्र में अप्रत्यक्ष दावा-प्रस्तुति तथा आकलन तनिक भय के
साथ...मगर दर्शन-शास्त्र का एक ही सिद्धान्त या नियम या शर्त या
धर्म....और वह है....आमने-सामने....हवा, बिजली और ईश्वर को छू कर देखने में
दर्शन-शास्त्र का पूरा-पूरा उपयोग...ज्योतिष में आँख बंद करके प्रार्थना
संभव है....किन्तु दर्शन तो आँखों के बिना अधूरा....और शब्द अँधेरे में भी
टटोल कर मन की आँखों से पढ़ें जा सकते
है...TOTAL-REALITY....कहना-सुनना...आमने-सामने...FACE READING... FACE to
FACE...मन की बात आमने-सामने हो तो रूह रूबरू होती है....तब चेहरे के रंग
हज़ार....FACE is the front part of our head & expressions are shown
on it...face-up to something i.e. to accept a difficult or unpleasant
situation and do something about it--यथा भागीरथ, जुझारू.....face-value
means the cost displayed on the front of a coin...मूल्यविहीन हरगिज
नही...face-less अर्थात जिसकी कोई व्यक्तिगत पहचान ना हो...face-book नामक
जहाज पर यात्रा की पात्रता सभी को...face-cloth यानी कि अंगौछा, तौलिया और
रुमाल...FACE-LIFT...ज़माना चेहरा पहचानता है, सिर्फ उसका जो मन की बात कहे
और सुने...facet...रत्न की
झलक....हीरा-पन्ना-माणिक-पुखराज.....अनमोल-रतन...कोई विशेष
पहलु...facetious....तब बात को हवा में उड़ाने की नही...दमकते चेहरे का
राज़ यही कि कुछ चेहरों पर संदेह मुमकिन नही...जैसे मिटटी की ताकत पर कभी
संदेह संभव नही...कभी भी साथ दे सकती है....फूलो की खुशबु का राज़ मिटटी
मे...शरीर की ताकत मिटटी मे....संपूर्ण अर्थ-व्यवस्था मिटटी मे....पेड़ को
जकड़ने का रहस्य मिटटी में....सुपुर्दे खाक की सच्चाई मिटटी के पास...आदमी
की औकात मिटटी में....इज्जत मिटटी में मिलने वाली बात नहीं...और मिटटी का
कोई स्वाद नहीं....अलबत्ता मिटटी में सभी स्वाद का रहस्य....बूझो तो
जाने....जीभ का चटोरापन दस नखरे दिखाये....और आँखे पल भर में दुनिया देख
ले....तब आध्यात्म का स्वाद कैसा ???....पञ्च तत्व का स्वाद क्या ???....तब
स्वाद पहचानने के लिये समक्ष मात्र दर्शन-शास्त्र....और गवाही में चेहरे
के
भाव...उतार-चढ़ाव...भाव-भंगिमाएँ….सत्यम्.....शिवम्......सुंदरम्......एकांत
में जाग्रत एकाग्रता हो और सार्वजानिक होने में सुन्दरता, शालीनता और
सुकून हो....बस इसी तथ्य पर सिद्धि अंत तक सुरक्षित रह सकती है....
LIGHTS…. CAMERA…..ACTION……part of every day life.. …."विनायक
समाधान"...@...91654-18344.....(INDORE/UJJAIN/DEWAS)…
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