खिलौने बनाने वाली फैक्ट्री हमेशा फायदे में.....सिर्फ खैलने का
मकसद...महंगा शौक....नामुराद-नशा...नाश के आगोश मे ले कर अट्टहास करने लगे
तो तौबा करना जरुरी है....हाय-तौबा रोकने के लिये...फिर वही कहानी या फिर
बारम्बार....बात तो एक ही है...टी.वी.....एक बार चालू करना आसान किन्तु
बन्द करने का विचार मत-भेद से परिपूर्ण....मन-भेद की बात नही....बंद T.V.
की स्थिति मे सबका मन एक भाषा बोले...चुपचाप....जब T.V. ख़राब हो
जाये....और एक-दो दिन सचमुच की चुप्पी हो जाय तो....सचमुच का आश्रम....सबका
स्वागत...सिर्फ चंद-मदहोश पहलु वर्जित....जैसे अंतिम समय हेतु आकलन
वर्जित....मगर समय से पहले कमजोरी जायज़ नही...और इस को रोकने के लिये
आध्यात्म का बाँध...और आध्यात्म या धर्म के पीछे दौड़ लगाने की बात
नही....लेकिन खुद मे आकर्षण की बात जरूर है....भला कोई भी पुछ सकता
है...आखिर आप मे क्या विशेषता है ?....हम भी तो जाने....तब सबका एक ही
जवाब....मै सरल हूँ....जैसे ॐ या स्वास्तिक....यह हो जाये तो
यक़ीनन....आध्यात्म आपके द्वार....खटखट या खटपट की बात नही....ना ही खटिया
की....लेकिन दरवाजे की कुंडी सलामत रहे....ताकि धर्म भी आज्ञा-संस्कार का
पालन करे....बिना किसी प्रपंच के....वर्ना प्रपंच का पहाड़ राई से बन जाता
है....देखते-देखते....रिश्ते कमज़ोर हो जाने पर कहानी ख़त्म करने की ईच्छा
होती है किन्तु मुरझाये पौधे मे प्राण फूँकने का सरल चमत्कार कोई भी कर
सकता है....बिना पलक झपकाये एक झलक पाने का अवसर....नही तो कभी-कभी पुरा
जीवन सपने देखने मे बिता चले जाता है...खुली आँखों से सपने देखना अच्छी
आदत...बस इसी आधार पर अच्छे आदमी की पूछ-परख हो कर रहती है...और दुनिया मे
अच्छे आदमी के अलावा बहुत सारी वस्तुएँ अच्छी-अच्छी....और अच्छी वस्तु वही
जिसकी और अच्छे आदमी का इशारा हो जाये...सितारों की चमक कम या ज्यादा हो
सकती है परन्तु इनके टूटने से आसमान को कोई फर्क नही पड़ता है.....He is a
blessed grhasta (householder) in whose house there is a blissful
atmosphere, whose sons are talented, whose wife speaks sweetly, whose
wealth is enough to satisfy his desires, who finds pleasure in the
company of his wife, whose servants are obedient, in whose house
hospitality is shown, the auspicious Supreme Lord is worshiped daily,
delicious food and drink is partaken, and who finds joy in the company
of devotees... Those men who are happy in this world, who are generous
towards their relatives, kind to strangers, indifferent to the wicked,
loving to the good, shrewd in their dealings with the base, frank with
the learned, courageous with enemies, humble with elders and stern with
the wife...और इसका राज़ यह है कि जिस धन को अर्जित करने में मन तथा शरीर
को क्लेश हो, धर्म का उल्लंघन करना पड़े, शत्रु के सामने अपना सिर झुकाने
की बाध्यता उपस्थित हो, उसे प्राप्त करने का विचार ही त्याग देना श्रेयस्कर
है.....संसार के छह सुख प्रमुख है- धन प्राप्ति, हमेशा स्वस्थ रहना, वश
में रहने वाले पुत्र, प्रिय भार्या, प्रिय बोलने वाली भार्या और मनोरथ
पूर्ण कराने वाली विद्या......शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों
को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की
चुनौतियों के लिए तैयार करें....
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