Friday 4 November 2016

चायना-बाजार मे भारतीय-भगवान...थोक-भाव मे...सस्ते मे....मंजूर है....किन्तु यह शर्त भारतीय परम्परा की विधा नही कि...USE & THROW....quickly & suddenly...खरीदने के दौरान हम जानते है कि इस चीज को कभी भी फेंकना पड़ सकता है...बेचने वाला भी मित्रता नहीं निभा सकता है...टिकाऊ चीज सिर्फ भारत में बन सकती है...आमने-सामने....सिर्फ एक कारीगर साधारण मिट्टी से मनचाही आकृति दे सकता है...तब कलाकार की फैक्ट्री मे नुकसान असम्भव...और यही मिट्टी पुनः समेटने के लिये....फेकने के लिये नही...आम और गुठली दोनो काम की चीज....सनातन सम्प्रदाय में शरीर को मिट्टी का माना गया है....सहन-शक्ति मे वृद्धि भारतीय-संस्कृति की विशेषता हो सकती है...संपूर्ण दुनिया मे लोकप्रिय....भारतीय-विवाह की एक ही खासियत है...."मन्ज़ूर"..."FOREVER"....throughout....ठेठ से लेकर ठेठ तक...शब्दकोश मे इस शब्द का अध्ययन आवश्यक है...पर्यायवाची की सहायता से भी विकल्प सम्भव नही...तब गवाही मे विनायक-श्री सबसे किफायती...सिर्फ सुपारी को श्री गणेश के समकक्ष स्थापित कर सिर्फ एक मन्त्र बोल दिया जाता है....ॐ श्री गणेशाय नमः।।....और शादी का लड्डू खाने के लिए प्रसाद मे लड्डू चढ़ा दिए जाते है...पछताने की बात नही...मौका सबको मिलता है.....जैसे दिवाली पर दिये जलाये जाते है...इस बार तो मिट्टी के दिये की आवक और बिक्री दोनो...."बम्पर"...और संस्कार इस बात का पक्ष लेते हुए कहते है....हम-तुम सनम, मिलते रहे....सातों जनम....जैसे संतान अपने माता-पिता की अगले जन्म में भी कल्पना करती है...बैंड-बाजा-बारात का काम नही....पंडित और शहनाई की बात नही....क्या आपने भगवान को देखा है ?...जब किसी साधक से यह प्रश्न किया जाता है तो साधक गुरु की और ऊँगली उठा देता है...जैसे भीड़ मे गुम हो चुके बच्चे को अनेक फोटो दिखाने पर वह माता-पिता के सामने ऊँगली से इशारा कर देता है....बन्दुक उठाने की बात पर...ऊँगली उठाने की बात पर...बाजीराव की तलवार ही भली....कलाकार अपनी कला मे भगवान के दर्शन कर लेता है....आस्था कहती है, इंसान के श्री-मुख से...सरवटे बस स्टेण्ड के एक सेठ...माँ शारदा के साधक....मरीमाता के सेठ पर....माँ बाणेश्वरी का वरद-हस्त...गाड़ी के कागजात किसी के भी नाम हो....गाड़ी पर तो माँ का ही नाम होगा...और इनकी सेवाओं से हम कह सकते है....हम इंदौर में है...आनन्द के लिये हम सम्पुर्ण सर्च इंजिन को खंगाल सकते है....तब यह आध्यात्मिक विषय बन जाता है...you may search into Google....just say "vinayak samadhan".....बातों-बातों में....खेल-खेल मे....चलते-फिरते....

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