थर्ड-डिग्री की बात नही.....पैर के तलुओं पर प्रहार करने से बड़े से बड़ा
अपराधी भी सच बोल देता है....और रेत पर नंगे पैर चलने से अनेक शारीरिक
व्याधियों से बचा जा सकता है....जैसे नंगे पैर सुबह घास पर चलने से आँखों
में ताकत आती रहती है....भजन और भोजन में नंगे पैरो की महिमा पूर्णतः
अनिवार्य....घर एक मंदिर कहावत को नंगे पैर ही चरितार्थ कर सकते
है....नव-रात्रि में साधना स्वरूप नंगे पैर ही रहते है....और किसी दिवंगत
आत्मा के सम्मान में संस्कारों के बारह दिनों में पैदल नंगे पैर ही घुमा
जाता है....श्रद्धा का आध्यात्मिक स्वरूप....
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