Saturday 5 November 2016

सामुन्द्रिक-शास्त्र के किसी भी कोर्स की अवधि सुनिश्चिंत नही....और किसी काम की अवधि की कोई भविष्य वाणी नही....पच्चीस वर्ष तक उत्तम याददाश्त के कारण मानव विद्ध्यर्थी माना जा सकता है किंतु अध्यात्म की पाठशाला मे विद्ध्यर्थी की पदवी पचास के इर्द-गिर्द मिल सकती है....डिग्री समान....मगर कम्पास की....0 से ले कर....360....तक....टेम्प्रेचर की बात नही....गरमा-गर्मी से बुद्धि का पतन...वो लोग जो दूसरो की गुप्त खामियों को उजागर करते हुए फिरते है, अपने पतन के लिये स्वयं जिम्मेदार होते है...जिस तरह साँप चीटियों के टीलों में जा कर चक्रव्यूह में फंस जाता है....भले ही महाकाल का वरद-हस्त....चींटियाँ तो महाकाय-विनायक पर भी भारी...पर विनायक विघ्नविनाशक.....पूंछ अटकने की बात नही...हाथी तो निकल ही जाता है....सवारी मे शान से....सुपारी मतलब श्रेष्ठ-शुभारम्भ....और पूर्ण श्रीफल मतलब क्लेप भी आपके हाथो.....राय-मशविरा या परामर्श आदमी को महावीर बनाती है....किन्तु किसी ने सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी को यह सलाह नहीं दी की वह...
स्वर्ण को सुगंध प्रदान करे....
गन्ने के झाड को फल प्रदान करे....
चन्दन के वृक्ष को फूल प्रदान करे.....
विद्वान् को धन प्रदान करे.....
राजा को लम्बी आयु प्रदान करे.....
to impart perfume to gold....fruit to the sugarcane....flowers to the sandalwood tree.....wealth to the learned....and long life to the king...राजा का रोज जन्म होता है...संत के मुंह से अंत की बात नही...ब्राह्मण अर्थात ब्रह्म-मुहूर्त में जागरण...और जब आँख खुली तब सवेरा....मतलब जाग्रत अवस्था...इन सातो को जगा दे यदि ये सो जाए... १. विद्यार्थी २. सेवक ३. पथिक ४. भूखा-आदमी ५. डरा हुआ आदमी ६. खजाने का रक्षक ७. खजांची....The student, the servant, the traveller, the hungry person, the frightened man, the treasury guard, and the steward... ought to be awakened if they fall asleep.....जागना जरुरी है....जागते रहो....भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं....अगर हम दुनिया के इतिहास को देखे, तो पाएंगे कि सभ्यता का निर्माण उन महान ऋषियों और वैज्ञानिकों के हाथों से हुआ है,जो स्वयं विचार करने की सामर्थ्य रखते हैं......जो देश और काल की गहराइयों में प्रवेश करते हैं.....उनके रहस्यों का पता लगाते हैं और प्राप्त ज्ञान का उपयोग विश्व श्रेय या लोक-कल्याण के लिए करते हैं.....शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है....ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है....शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए.....जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके....शब्द वह साधन हैं जिसके माध्यम से हम विभिन्न पहलुओं के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं...उत्तम शब्दों से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है...उत्तम शब्दों से आज्ञा का पालन....सर्वोत्तम संस्कार...सत्यम्.....शिवम्......सुंदरम्......एकांत में जाग्रत एकाग्रता हो और सार्वजानिक होने में सुन्दरता, शालीनता और सुकून हो....बस इसी तथ्य पर सिद्धि अंत तक सुरक्षित रह सकती है.... LIGHTS…. CAMERA…..ACTION……part of every day life.. …."विनायक समाधान"...@...91654-18344.....(INDORE/UJJAIN/DEWAS)…

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